रामपुर। शायर-ए-मशरिक़ डॉ. अल्लामा इक़बाल की जयंती पर सौलत पब्लिक लाइब्रेरी में “यौम-ए-उर्दू” का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर “उर्दू अदब में रामपुर की हिस्सेदारी” विषय पर परिचर्चा एवं “शाम-ए-ग़ज़ल व चारबैत” का आयोजन हुआ। 🎤✨
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. महमूद अली ख़ाँ (अध्यक्ष, सौलत पब्लिक लाइब्रेरी) ने की, जबकि प्रसिद्ध शोधकर्ता अतीक़ जीलानी सालिक, प्रो. ज़हीर रहमती (दिल्ली विश्वविद्यालय) और डॉ. रबाब अंजुम (मुस्लिम कॉलेज, मुरादाबाद) ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अदनान ज़ियाई ने किया। 🙌
जश्न की शुरुआत डॉ. सैयद अनवारुल हसन क़ादरी की तिलावत-ए-क़ुरआन से हुई, इसके बाद कु. समरीन अहमद और अज़हर इनायती ने नात पेश की। कार्यक्रम संयोजक ज़ीशान मोहम्मद ख़ाँ मुराद ने अतिथियों का स्वागत किया। 🌙
परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली और लखनऊ के बाद उर्दू अदब का तीसरा दविस्तान रामपुर माना जाता है। यहाँ के साहित्यकारों ने न केवल कविता, शोध और आलोचना में योगदान दिया बल्कि गद्य, अफ़साना और कहानी लेखन में भी इतिहास रचा। 🖋️
रामपुर को “दारुस्सरूर” और “बुख़ारा-ए-हिंद” जैसी उपाधियाँ मिलीं। वक्ताओं ने कहा कि जब दिल्ली और लखनऊ की अदबी महफ़िलें उजड़ गईं, तब रामपुर ने उर्दू को पनाह दी। ग़ालिब, दाग़ देहलवी, अमीर मिनाई, मोमिन, क़ुदरतुल्लाह शौक़ जैसे शायरों ने यहाँ रहकर अपनी शायरी को नई ऊँचाइयाँ दीं। 🎶
आज भी शाद आरफ़ी, अज़हर इनायती, हसन इक़बाल, होश नुमानी, शहज़ादा गुलरेज़ जैसे समकालीन शायर रामपुर की उर्दू विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
वक्ताओं ने कहा कि रामपुर में अफ़साना-निगारी की परंपरा बेहद समृद्ध रही है, जहाँ राज़ यज़दानी, तालिब मिनाई, वाजीद सहरी, नईमा मसऊद, अतीक़ जीलानी सालिक, डॉ. अतहर मसऊद ख़ाँ जैसे नाम उर्दू अदब को गौरवान्वित करते हैं। 📖
कार्यक्रम के समापन पर प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक जमील अहमद ने रामपुर के शायरों की ग़ज़लें प्रस्तुत कीं, जबकि अहमद ख़ाँ ज़ियाई और उनके साथियों ने चारबैत पेश कर समां बाँध दिया। 🌟
कार्यक्रम में डॉ. हसन अहमद निज़ामी, अबू सअद इस्लाही, नईम नजमी, डॉ. महदी हसन, मसरूर अदीब, अब्दुल वहाब सुखन, जुनैद महबूब ख़ाँ, ताजदार मोहम्मद ख़ाँ, इरम नाज़, डॉ. शरीफ़ क़ादरी, सैयद सरोश सईद सहित अनेक विद्वान, शायर और शिक्षाविद उपस्थित रहे। 🎓
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FAQs (in English):
Q1. What was the main theme of the Urdu Day celebration in Rampur?
A: The event focused on “Rampur’s Contribution to Urdu Literature,” highlighting the city’s historical role in preserving and promoting Urdu poetry and prose.
Q2. Who performed at the cultural evening?
A: Renowned ghazal singer Jameel Ahmad and Ahmad Khan Ziai with his team presented ghazals and charbait performances.
📊 Public Poll:
क्या आप मानते हैं कि रामपुर ने उर्दू अदब को सबसे मज़बूत पनाह दी है?
1️⃣ हाँ, रामपुर उर्दू का असली गढ़ है
2️⃣ नहीं, उर्दू की जड़ें दिल्ली-लखनऊ में ही मज़बूत हैं
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