Bijnor News: राशन की दुकान का अधिकारियों ने कर दिया फर्जी प्रस्ताव, डेढ़ साल से ग्रामीण परेशान,सांसद का शिकायती पत्र भी डीएम ने बना दिया रद्दी


बिजनौर जिले की तहसील धामपुर व विकास खण्ड अल्हपुर के ग्राम औरँगशाहपुर नारायण में सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता का चयन न होने के कारण ग्रामीण डेढ़ साल से दर दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन प्रशासन अपनी आंखें मूंदे बैठा है। शिकायत के बाबजूद जिले के उच्च अधिकारी दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने कतरा रहे हैं। गांव में रिक्त राशन की दुकान स्थापित हेतु खुली बैठक में विक्रेता का चयन किया जाना था। दिनांक 30/01/2024 को अधिकारियों द्वारा गांव में खुली बैठक का आयोजन किया गया था जिसमे गांव निवासी विजयपाल सिंह 191 ग्राम बासियों के समर्थन से विक्रता के लिए चयन हुए। लेकिन कुछ दिन बाद भ्रष्टाचारी ग्राम सचिव, सहायक विकास अधिकारी व खंड विकास अधिकारी ने गांव निवासी होशियार सिंह से मोटी रिश्वत लेकर उसके नाम फर्जी प्रस्ताव बना कर एसडीएम कार्यलय धामपुर को प्रेषित कर दिया। फर्जी प्रस्ताव की जानकारी जब विजयपाल सिंह को हुई तो उसने समाधान दिवस में शिकायत दर्ज करायी। अधिकारियों ने शिकायती पत्र को ठंडे बस्ते में डाल दिया। एक साल बीत जाने के बाद  विजयपाल सिंह ने डीएम, कमिश्नर के कार्यलय के बहुत चक्कर लगाए लेकिन गांव में दुकान स्थापित नहीं हो सकी। दिनांक 24/04/2025 , 03/07/2025  व 09/07/2025  को विजयपाल ने लोक शिकायत विभाग भारत सरकार के पोर्टल पर शिकायत दर्ज करायी। तब मामले की जांच हेतु तहसीलदार धामपुर की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई। दिनांक 13/05/2025 को तहसीलदार ने जांच में पाया कि दुकान का चयन विजयपाल के नाम के लिए हुए था। लेकिन ग्राम सचिव, सहायक विकास अधिकारी तथा खंड विकास अधिकारी ने होशियार  सिंह से साठगांठ करके होशियार सिंह के नाम फर्जी प्रस्ताव तैयार कर एसडीएम कार्यलय भेज दिया। जांच में विजयपाल सिंह के नाम प्रस्ताव होना पाया गया। तहसीलदार ने अपनी जांच आख्या रिपोर्ट एसडीएम को प्रेषित कर दी। एक माह बाद विजयपाल सिंह तथा नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने शिकायती पत्र देकर पुनः बिजनौर के जिलाधिकारी को मामले से अवगत कराया। गांव में राशन की दुकान स्थापित करने तथा दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन जिलाधिकारी ने सांसद के शिकायती पत्र को भी रद्दी में डाल दिया। जांच के दो माह बाद भी जिले के उच्च अधिकारी गांव में न तो राशन की दुकान स्थापित करा सके और न ही दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों को दंडित कर सके। बिजनौर जिले में अधिकारियों की इस तरह की कार्यशैली से जनता का अधिकारियों से न्याय का भरोसा उठता जा रहा है।

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